लेखनी कहानी -17-May-2024
शीर्षक श्रापित गुलाब
हम सभी जानते हैं जीवन में कुदरत और भाग्य के साथ ही साथ हमारे जीवन की राह होती है। और हम सभी यह भी जानते हैं जीवन में कुछ ना कुछ श्रापित हो जाता है जैसे आज की कहानी श्रापित गुलाब एक बगीचे में लगा यह पेड़ श्रापित गुलाब के नाम से विख्यात है। परंतु फिर भी लोग इस बगीचे में इस श्रापित गुलाब को देखने जरूर आते है।
मेरा भाग्य कुदरत की साथ जीवन का एक सच होता है जो कि हमारे कर्म के फल के अनुसार हमें भुगतना अवश्य पड़ता है वह कर्म या जीवन में किसी की दुआ या बद्दुआ ऐसे ही श्रापित गुलाब एक कब्रिस्तान में लगा गुलाब का यह पेड़ श्रापित गुलाब के नाम से जाना जाता था इस श्रापित गुलाब का पेड़ जहां सबको इसका फूल बेहद पसंद आता था वही इस श्रापित गुलाब को अगर कोई तोड़ कर ले जाता और वह किसी भी जगह स्कूल आपको चढ़ा देता है तब श्रापित गुलाब सभी को या सभी की जरूरत और मानसिक रूप से श्रापित गुलाब के साथ जो भी इच्छा रखता था वह इच्छा अवश्य पूरी होती थी परंतु यह श्रापित गुलाब सभी की इच्छाएं पूरी करने के साथ-साथ उसकी सबसे बेस्ट कीमती चीज चुरा लेता था हैं। ऐसे ही लोग उसे श्रापित गुलाब से कुछ ना कुछ मांगते थे।
रूपा और राघव की शादी 20 वर्ष बीत चुके थे परंतु उन दोनों को संतान नहीं थी कुछ लोग श्रापित गुलाब को जानते थे और उन्होंने रूप और राघव को उसे श्रापित गुलाब की कहानी सुनाइए । कि श्रापित गुलाब बहुत बढ़िया और सच्चा पेड़ है और जो इसे मांग कर आता है। तब यह इसकी मुराद या प्रार्थना जरूर सुनता है तब रूप के मन में एक बच्चा हो जाए ऐसा ख्याल आता है और राघव से बिना कुछ कहे उसे कब्रिस्तान में जा पहुंचती है जहां वह श्रापित गुलाब खिला होता है। और रूपा को श्रापित गुलाब के विषय में यह तो मालूम था कि यह मुरादे पूरी कर देता है परंतु यह नहीं मालूम था कि वह मुराद पूरी करने के साथ-साथ उसे इंसान की सबसे प्यारी चीज छीन लेता है लोगों ने आधा अधूरा सच बात कर रूप को श्रापित गुलाब के लिए सच साबित करने के लिए भेज दिया।
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है जिसके भाग्य में किस्मत में जो होता है वैसे जरूर मिलता है क्या उम्र के किसी भी पड़ाव पर उसे में मिले पर मिलता जरूर हम सभी के जीवन में दो हाथ होते हैं उन हाथों में रेखाएं होती है और दाया हाथ आदमी का भगवान के द्वारा रचित होता है ऐसे ही महिलाओं का बाया हाथ भगवान द्वारा रचित होता है ऐसे ही श्रापित गुलाब बहुत सुंदर फूल था। रूप भी अपने जीवन में मां बनने का सपना देखकर श्रापित गुलाब से मांगने कुछ कब्रिस्तान में जा पहुंचती है जहां वह पेड़ लगा होता है।
जब रुपा राघव के बिना बताए बिना कहे उसे कब्रिस्तान में श्रापित गुलाब के पास पहुंच जाती है और वह जैसे ही श्रापित गुलाब से कुछ मांगने के लिए उसे पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाती है और मांगने के लिए वह दोनों हाथ ऊपर कर लेती है और कहती है श्रापित गुलाब मेरे जीवन में औलाद का सुख पूरा हो जाए रूपा का इतना कहना था की मौसम खराब होने लगता है और रूपा भी घबरा जाती है। और दीपा श्रापित गुलाब से मांग कर फटाफट कर घर की ओर चल पड़ती है जैसे ही कब्रिस्तान से निकलना चाहती है वहां पर कुछ गुंडे लोग उसे पकड़ लेते और रूपा के साथ जबरदस्ती करके उसकी इज्जततार कर देते हैं। और रूपा उन सबसे बारी-बारी इज्जत की गुहार मांगती है। परंतु रूपा की प्रार्थना का कोई असर नहीं क्योंकि उसे समय तो वह वासना हवास में डूबे हुए थे और रूप भी कुछ देर बाद निढाल होकर बेहोश हो जाती है। और जब उससे पूछ आता है तो उसकी इज्जत और शारीरिक देखना संवेदना मन के भाव से उसे पर पुरुष से शारीरिक संतुष्टि का आनंद प्रतीत होता है परंतु वह एक शादीशुदा नारी थी । और वह उसे घटना को मन में छुपा कर और आनंद आनंद की अनुभूति करती हुई घर पहुंच जाती है जब वह घर पहुंचती है राघव वहां इंतजार कर रहा होता है। और रूप से पूछता है तुम कहां गई थी बाजार शॉपिंग करने गई थी परंतु कुछ मौसम खराब होने के कारण मैं कुछ लेकर नहीं आई और ऐसा कहते हुए बाथरूम में चली जाती है परंतु रूप को अपने साथ शारीरिक जबरदस्ती होने का कोई गम ना था उसे अब लग रहा था कि एक नारी को संतुष्टि कैसे मिलती है और वह मनी मां उसे श्रापित गुलाब की प्रार्थना को याद कर रही थी दिन बीतते हैं। और कुछ दिनों बाद रूपा को लगता है कि वह मां बनने वाली शराफत गुलाब की प्रार्थना के साथ-साथ उसकी शारीरिक घटना को है याद कर लेती है और फिर वह अपनी पेट पर हाथ फेर कर आने वाले बच्चे की खुशी को महसूस करती है और वह समझ जाती है कि राघव पिता बनने योग्य नहीं परंतु वह राघव से कुछ नहीं रहती और राघव भी खुश हो जाता है कि रूप उसके बच्चे की मां बनने वाली है। रूप एक सुंदर बच्चे को जन्म देती हैं और मैं समझ जाती है श्रापित गुलाब से प्रार्थना करने के बाद जिन लोगों से शारीरिक आनंद और संतुष्टी के साथ वासना हवस के पुजारी वह कोई और नहीं श्रापित गुलाब से प्रार्थना की वजह थी और सबसे अच्छी चीज उसकी इज्जत और उसका पतिव्रता का धर्म सबसे अच्छी चीज इज्ज़त थी झूठी हो चुकी थी।
रूपा उस श्रापित गुलाब से मांगी प्रार्थना को सच समझ रही थी। और मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच होता है श्रापित गुलाब एक कल्पना के साथ लिखे शब्द और कहानी जो कि किसी की घटना से सच हो भी सकती है और नहीं क्योंकि जीवन में ऐसा कुछ नहीं है जो सच या झूठ नहीं होता है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच तो रूप और राघव की जिंदगी बच्चे ना होने की वजह और रूपा का उन पर पुरुषों द्वारा शोषण फिर रूप का राघव से उस घटना को छुपा लेना। बच्चों को जन्म देना श्रापित गुलाब से मांगी प्रार्थना थी। सच हो जाती है रूप अपनी प्रिय इज्जत लुट जाने पर भी अफसोस ना करती है क्योंकि उसके घर में नन्हा मेहमान आ चुका होता है।
रूपा जानती थी कि यह बच्चा उन सभी पर पुरुषों की देन है और वह अपने शरीर की संतुष्टि को भी समझ चुकी थी आज वह एक सच यह भी जान चुकी थी की राघव अपने मां से अपने आप को पूर्ण पुरुष समझता है परंतु राघव के अंदर कमी है और रूपा उन सब बातों को मन ही मनें दबाकर अपनी जिंदगी बच्चों के साथ जी रही और राघव भी अपनी बच्चों को पाकर बहुत खुश था।
मेरा भाग्य कुदरत के रंग एक सच तो श्रापित गुलाब और रूपा के साथ पर पुरुषों द्वारा उसकी इज्जत का तार तार होना और उससे बच्चों का जन्म मिलना। रुपा का पर नी का जिंदगी में वह अच्छा सच छुपा कर अपने जीवन को खुशहाल बना चुकी थी। श्रापित गुलाब से की गई प्रार्थना भी पूरी हो चुकी थी और रूपा अपनी जिंदगी की राह पर राघव के साथ जीवन की रही थी।
मेरा भाग्य और कुदरत तिरंगे की सच कहता है कि हम सभी अपने अपने भाग्य और कुदरत के साथ बंद है और श्रापित गुलाब जैसे पेड़ भी होते होंगे जो की प्रार्थनाएं पूरी कर सकते हैं और भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ रूपा अपने जीवन में उस घटना को छुपा कर अपने परिवार के साथ जिंदगी की राही थी।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उत्तर प्रदेश